कमाई
कमाई तीन प्रकार की होती हैं।
धन कमाना, पुण्य कमाना,पाप कमाना।
जीवन निर्वाह एवं पारिवारिक कर्तव्यों की
पूर्ति हेतु धन कमाना आवश्यक हैं। बर्शते
कमाई का रास्ता सीधा,सरल व सच्चा हो।
पारिवारिक व सामाजिक कर्तव्यों की पूर्ति
करना पुण्य का काम हैं ,
अपराध या बेईमानी से की गयी कमाई
मनुष्य को पाप के गर्त में ढकेल देती हैं।
पाप की कमाई का असर परिवार व समाज
दोनों पर पड़ता हैं।
आज के भौतिक युग में अत्यधिक खर्चे बढ़
गये हैं। इन खर्चो की पूर्ति हेतु लोग किसी
भी हद तक गिर रहे हैं। रिश्वतखोरी,भष्ट्राचारी
ने समाज को दिशाहीन कर दिया हैं।
बाजार में पैसे खर्च करके भी आपको सही
वस्तु मिल जाये ये आवश्यक नहीं हैं।
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