Tuesday, June 8, 2021

कोरोंस और मानव जीवन

 कोरोना औऱ मानव जीवन 


मनुष्य का मूल स्वभाव शांति, प्रगति,उन्नति है। मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं जो कि समाज मे रहकर ही अपनी अवस्था अनुसार उन्नति करता है तथा अपने कर्तव्य की पूर्ति करता हैं।जीवन के उत्तर चढाव में सुख अथवा दुख भोगकर अपने जीवन उद्देश्य की सफलता के लिये प्रयासरत रहता हैं।

 समय समय पर महामारी आती है औऱ अपनी ताकत से मनुष्यो को भारी क्षति पहुचाती रही है।

कोरोना से 15 महीने पहले हम परिचित हुए। कोरोना का जन्म स्थान चीन है वहा से यह सारी दुनिया की सैर को चल पड़ा और इंसानों के जीवन को तहस नहस कर डाला।

पिचले 15 माह से हम कोरोना का  सामना कर रहे है।और आशा कर रहे है कि जल्द ही हमे इससे मुक्ति मिले और हमारा जीवन पहले की तरह पतरी पर आ जाये।बहुत सारे लोग इस आशा के साथ ही इस संसार से विदा हो गये।

  चले गये वी लोग 

  जो इस धरा पर रहते थे 

  मीठे सपने जिनकी 

  आँखो में बसा करते थे।

  वैसे तो इस मृत्युलोक में सभी जीवधारियों को जिंदा रहने के लिये संघर्ष करना पड़ता है।मनुष्य भी इसका अपवाद नही है।फिर भी हम सब अपने दुख दर्द भूलकर खुशियो को समेटने का प्रयास जीवन भर करते है।

भारत मे कोरोना के प्रति लोग तब गम्भीर  और सचेत हुए जब सरकार ने मार्च 2020 में लोकडाऊन लगने का फैसला लिया। तब हम सबने सोचा चलो कुछ दिनों की परेशानी है जल्द ही सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा। पहले जैसे ही हम अपनी मर्जी के अनुसार जीवन जी सकेंगे।

किन्तु यह कुछ दिन बढ़ते बढ़ते लगभग 15 महीने हो गये। समस्या पहले से भी ज्यादा घातक हो गई। कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर से भी ज्यादा आक्रामक हो गई और अब तीसरी लहर की भी आशंका है।

टीकाकरण शुरू होने से आशा की किरण भी मन मे जगी है।

   जहाँ आशा है

   वहाँ उत्साह है

   संकट की इस घड़ी में

   संजीवनी बूटी यही है।

कोरोना ने न  केवल बहुत जीवन छीन लिये बल्कि इसने इंसानो के जीवन को पूरी तरह झकझोर डाला।जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र न बचा जहाँ कोरोना ने अपना प्रभाव न दिखाया हो।क्या कभी किसी ने कल्पना की थी कि हम अपने ही घरों में केद हो जाएंगे 

स्कूल,,कालेज,बाजार सब बन्द हो जाएंगे।रेल,,बस,ऑटो के पहिये थम जाएंगे जीवन की गति रुज जाएगी।किन्तु ये सब हुआ 


पहले ही जिंदगी में 

दुख दर्द कम नही थे

किस्से वफा की उम्मीद करें 

 अपने ही  वेवफाई कर गये।

गति ही जीवन का सिद्धांत है जिस तरह प्रकति में सर्वत्र गति दिखई देती हे उसी तरह जीवन भी निरन्तर आगे के पथ पर बढ़ता है।यदि इस गति पर विराम लग जय तो इसके दुष्परिणाम अनेक रूपो में सामने आ सकते है।

मनुष्य के मूल स्वभाब में परिवर्त्तन, चिढ़चिढ़ापन,उदासी, मानसिक समस्याएं शारीरिक समस्याएं आदि।

समय बड़ा बलबान है।सभी के लिए यह परीछा की घड़ी है।इस समय को अध्यन,अध्यात्म,चिंतन,मनन,

योग, धर्म के साथ व्यतीत किया जाए तो निश्चय ही उन्नति के नए रास्ते मिलेंगे।

समय चाहे जैसा भी हो

हमे अपनी चाल चलना है

हौसलो के पंख फैलाकर

सुदूर मंजिल को पाना है।







कोरोना से हुई  मोटो ने दिल दहला दिये।कितने ही परिवार बिखर गये।जीवन मे सदा के लिए सूनापन और खालीपन आ गया।