मनुष्य और जीव जगत का सम्बन्ध
मनुष्य सदियों से इस धरा पर निवास कर रहा हैं।
अपने आसपास के वातावरण के साथ सामंजस्य
रखकर ही जीवन जिया जा सकता हैं।
मनुष्य का जीव जगत से सबंध भी उतना ही प्राचीन
है जितना की मनुष्य का इतिहास। दोनों ही एक दूसरे के साथ रहते आ रहे हैं। दोनों ही का एक दूसरे पर गहरा
प्रभाव पड़ता हैं। कभी मित्र कभी शत्रु ?
चूकि मनुष्य अधिक समझदार है इसलिए वह जीव
जंतुओं का उपयोग अपनी आवश्यकता के अनुसार
करता हैं।
इनमें मुख्य आवश्यकताए हे -
आवागमन,दुग्ध पालन,मछली पालन,माँस भछण,शौक,
प्रदर्शन,मनोरंजन,व्यवसाय आदि।
जब आधुनिक संचार के साधन नहीं थे तब कबूतर संचार का साधन थे,
इसी प्रकार यातायात के प्राचीन साधन बैलगाड़ी,रथ,घोड़ागाड़ी थे।
जिनका उपयोग आज भी किया जाता हैं।
भला कुत्ते वफ़ादारी पर किसे शक होगा।घर में पिंजरे में बंद तोता
परिवार सदस्य बन जाता हैं। नाग पूजा की परम्परा भी सदियों से हैं।
गाय को गौ माता कहते हैं। गाय का दूध तो बेहद उपयोगी हे ही इसके
अलावा गौमूत्र एवं गोबर भी कम उपयोगी नहीं।
कोयल की सुरीली तान भला किसे नहीं लुभाती हैं।
कोऔ को भी पितृपक्ष में विशेष सम्मान प्राप्त हैं। चिड़ियाँ रानी हो
या बयां का घोंसला इनकी बात ही निराली हैं।
मनुष्य का जीव जगत से सम्बन्ध मित्रतापूर्ण हैं। इस रिश्तें को
बनाये रखने का प्रयास सभी को करना चाहिए।
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