शब्दों की बन्शी
बज रही हे
कही मधुर तो
कही कर्कश
काश यदि शब्द न होते
तब दुनियाँ कुछ
अलग ही दिखाई देती
इशारो ही इशारे मे
इशारे की भाषा
दिखाई देती
शब्दो की बन्शी-----
हर भाषा के शब्द होते हे
हर बात के अर्थ होते हे
भावनाओ की अभिव्यक्ति
हो या लोकाचार की बाते
शब्दो के हार. काम हे बनाते
शब्दो की बन्शी------
प्रेम से बोले गये दो शब्द
जादू सा जगा देते है
सुनने वाले के दिल में
गहराई तक उतर जाते है
शब्दों की डोर सीधे
दिल से दिल तक जाती है
शब्दों की बंशी -------
प्रेम से बोले गये दो शब्द
जादू सा जगा देते है
सुनने वाले के दिल में
गहराई तक उतर जाते है
शब्दों की डोर सीधे
दिल से दिल तक जाती है
शब्दों की बंशी -------
No comments:
Post a Comment