Monday, April 5, 2021

कोरोना कविता

 कोरोना ही कोरोना हे

  हर तरफ  बस कोरोना है

  सुबह से लेकर शाम तक

  कोरोना ही कोरोंना है

  कोरोना के काल में

  जीवन हुआ विकराल है

  रोजी रोटी के संघर्ष में

  हथैली पर जान है ।

   

   

  


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