भाग १
यदि किसी से ये यह प्रश्न पूछा जाये कि आप सुख
चाहते हो या दुःख तो शायद ही कोई ऐसा होगा जो
दुःख चाहेगा। सभी को सुख की ही अभिलाषा होती हैं।
इसके लिए सभी जीवन भर प्रयासरत रहते हैं। पर
सुख और दुःख जीवन भर आते जाते रहते हैं।
इस जगत में निरंतर घटनाएं घट हे। इन घटनाओ पर किसी
का नियंत्रण नहीं हैं। इन घटनाओ से ही हमें सुख अथवा दुःख
प्राप्त होता हैं।
जिन चीजों से हमें सुख प्राप्त होता हे,वही चीजे हमारे दुःख
का कारण भी बनती हैं।
हमारी सोच परिस्थितियों की गुलाम होती हैं। जो की हमे
उन्नति या अवनति की ओर ले जाती हैं।
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